Bihar Public Service Commission :- बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) एक प्रमुख राज्य सरकारी आयोग है जो बिहार राज्य में सिविल सेवा पदों की भर्ती और संघ राज्य सेवा परीक्षाओं का आयोजन करता है। इसका उद्देश्य योजनाबद्ध और प्रमुख सरकारी पदों के लिए उच्च-स्तरीय अधिकारियों का चयन करना है। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) का मुख्य कार्य सिविल सेवा पदों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित करना है|
जिसमें अधिकारी, कल्याण पदाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी, जिला उप-निरीक्षक, और अन्य पदों के लिए उम्मीदवारों को चयन किया जाता है। परीक्षाएं विभिन्न चरणों में सम्पन्न होती हैं जैसे कि प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा, और साक्षात्कार। BPSC का यह कार्य राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में सेवाएं प्रदान करने के लिए योग्य और योजनाबद्ध अधिकारियों का चयन करना है।
Bihar Public Service Commission- बिहार लोक सेवा आयोग और इतिहास ,अनुच्छेद 320 और 321 के तहत |
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) का गठन बिहार राज्य के सिविल सेवा पदों की भर्ती के लिए संस्थापित किया गया है। यह आयोग 1 नवम्बर 1956 को स्थापित हुआ था, जब बिहार राज्य का निर्माण हुआ था, जब पूर्वी और पश्चिमी बिहार (Bihar Public Service Commission) का एकीकरण हुआ था। BPSC का उद्देश्य राज्य के विभिन्न स्तरों पर सरकारी पदों के लिए पात्र उम्मीदवारों का चयन करना है और सिविल सेवा में योग्य और नौकरी करने के लिए उत्साही व्यक्तियों को प्रोत्साहित करना है। वर्तमान में, यह आयोग सिविल सेवा परीक्षा, सहायक अभियंता परीक्षा, और अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करता है ताकि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी सेवा में योग्य और कुशल अधिकारियों का चयन किया जा सके।
BPSC की परीक्षाएं विशेष रूप से उम्मीदवारों को सामाजिक और आर्थिक मुद्दों, राजनीतिक गुढ़वाद, और बिहार राज्य के विकास में उनकी योजनाबद्धता की जाँच करने में मदद करती हैं। प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन, सामान्य विज्ञान, और सामाजिक सांस्कृतिक विषयों पर आधारित होती हैं, जबकि मुख्य परीक्षा में विशेषज्ञता विषयों पर ज्ञान और समझ की जाँच होती है। सफलता के बाद, उम्मीदवार सरकारी पदों के लिए चयनित होते हैं और विभिन्न विभागों में कार्य करने का अवसर प्राप्त करते हैं। Bihar Public Service Commission के माध्यम से सिविल सेवा में सेवा करने वाले अधिकारी राज्य प्रशासन और विकास की विभिन्न क्षेत्रों में योगदान करते हैं।
बिहार लोक सेवा आयोग का शासनादेश
भारत के संविधान के (Bihar Public Service Commission) अनुच्छेद 320 और 321 राज्य लोक सेवा आयोगों के अधिदेशों को संघ और राज्य सरकारों के बीच संबंधित सेवाओं के प्रबंधन और संचालन के लिए निर्धारित करते हैं। इसमें प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन, पदों की पदोन्नति, विभिन्न सेवाओं और पदों पर भर्ती, और अन्य संबंधित कार्यों के लिए आयोगों की भूमिका शामिल है। ये अनुच्छेद राज्य सरकारों को सेवा से संबंधित निर्णय लेने में मदद करने का उद्देश्य रखते हैं।
अनुच्छेद 320 और 321 के तहत, राज्य एवं लोक सेवा आयोगों को कई प्रमुख कार्य विकल्प दिए गए हैं |
- प्रतियोगी परीक्षाएं :- राज्य सरकार को विभिन्न स्तरों पर सरकारी पदों के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करने का अधिकार है।
- पदोन्नति और स्थानांतरण :- पदों की पदोन्नति और एक सेवा से दूसरी सेवा में स्थानांतरण पर राज्य सरकार को आयोगों के माध्यम से उपयुक्तता पर सलाह देने का कार्य होता है।
- भर्ती नियम :- विभिन्न पदों और सेवाओं पर भर्ती, तथा इसके नियम बनाने और संशोधन से संबंधित जानकारी में राज्य सरकार को सलाह देने का अधिकार है।
- अनुशासनात्मक मामले: सिविल सेवाओं से संबंधित सभी अनुशासनात्मक मामलों में राज्य सरकार को सलाह देने का अधिकार है।
इन अनुच्छेदों के माध्यम से, राज्य लोक सेवा आयोग राज्य सरकारों को संविधानीय रूप में सरकारी पदों की प्रबंधन और नियुक्ति के कार्यों में मार्गदर्शन करने में मदद करता हैं।
Bihar Public Service Commission भर्ती
Bihar Public Service Commission कि भर्ती दो तरीकों से की जाती है |
- सीधी भर्ती: प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से सीधी भर्ती मुख्य रूप से होती है। प्रक्रिया 1 में, प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य (लिखित) परीक्षा और साक्षात्कार की प्रक्रिया होती है। प्रक्रिया 2 में, मुख्य (लिखित) परीक्षा और साक्षात्कार होते हैं। प्रक्रिया 3 में, केवल साक्षात्कार होता है।
- पदोन्नति: इसके लिए विभागीय पदोन्नति समिति के माध्यम से और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार सिविल सेवकों को पदों की पदोन्नति प्रदान की जाती है।
बीपीएससी पेपर लीक
पेपर लीक किसी भी परीक्षा के लिए गंभीर अनैतिकता का मामला होता है और यह किसी भी संगठन या आयोग की विशेष धारा के खिलाफ होता है। यदि ऐसी घटना होती है, तो आपको इसे तत्काल संबंधित प्राधिकृतियों और प्राधिकृत संगठनों को सूचित करना चाहिए। इस तरह के मामलों में, पुलिस अथवा संबंधित अधिकारियों को सूचित करना सबसे उचित होता है, इसलिए ताकि उचित जाँच की जा सके और उपयुक्त कार्रवाई किया जा सके।
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सारांश
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