How many law latest update 2023 :- यह फ़िलहाल भारतीय दंड संहिता के तहत तय होता है. How many law latest update 2023 500 से ज़्यादा धाराओं में अलग अलग अपराधों एवं उनके लिए दी जाने वाली सज़ा को परिभाषित किया गया है।करीब 160 साल पुराने इन कानूनों में समय-समय पर जोड़-घटाव भी किया जाता है, लेकिन इसके स्वरूप को नहीं बदला गया.
अब भारत सरकार How many law latest update 2023 एक बड़ा बदलाव करने जा रही है. शुक्रवार को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) की जगह तीन नए क़ानूनों का मसौदा पेश किया।भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 एवं भारतीय साक्ष्य बिल 2023माना जा रहा है कि जल्द ये तीनों बिल, संसदीय प्रक्रिया को पूरा कर क़ानून की शक्ल ले लेंगे.
How many law latest update 2023 बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा, “1860 से 2023 तक अंग्रेज़ों के बने हुए क़ानून के आधार पर इस देश की आपराधिक न्याय प्रणाली चलती रही. इसकी जगह भारतीय आत्मा के साथ ये तीन क़ानून स्थापित होंगे एवं हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली के अंदर बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए खास कदम उठाए गए हैं.
आइये जानते हैं कि आईपीसी की तुलना में भारतीय न्याय संहिता 2023 बिल, इन अपराधों को रोकने में कितनी ज़्यादा कारगर है.
How many law latest update 2023 पहचान छिपाकर शादी करने पर सज़ा
प्रस्तावित क़ानून- की धारा 69 के मुताबिक अगर How many law Big update 2023 कोई व्यक्ति शादी, रोज़गार या प्रमोशन का झूठा वादा कर महिला से यौन संबंध बनाता है तो उसे सज़ा होगी।यह सज़ा दस साल तक बढ़ाई जा सकती है एवं इसके साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
इस धारा के तहत अगर कोई व्यक्ति पहचान छिपाकर शादी करता है तो उस पर भी दस साल तक की सज़ा का नियम लागू होगा.
आईपीसी- में शादी के झूठा वादा कर यौन संबंध बनाना, रोज़गार या प्रमोशन का झूठा वादा करना एवं पहचान छिपाकर शादी करने जैसी चीज़ों के लिए कोई साफ-साफ प्रावधान नहीं हैं.
इस तरह के मामलों को आईपीसी की धारा 90 के तहत कवर किया जाता है, जहां झूठ के आधार पर ली गई सहमति को ग़लत माना जाता है. इ्स प्रकार के मामलों में आईपीसी की धारा 375 के प्रकार आरोप लगाए जाते हैं. यह धारा रेप जैसे अपराध को परिभाषित करती है How many law Big update 2023
How many law latest update 2023 रेप के मामले
आईपीसी- रेप करने पर आईपीसी की धारा 376 के तहत कम से कम दस साल की सज़ा एवं जुर्माने का प्रावधान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है,
लेकिन अगर यह अपराध कोई पुलिस अधिकारी, लोक सेवक, सशस्त्र बलों का सदस्य, महिला का रिश्तेदार, हॉस्पिटल का स्टाफ जैसे व्यक्ति करते हैं, या अपराध किसी ऐसे स्थान पर होता है जो महिलाओं की हिफाज़त से जुड़ा है तो सज़ा एवं कठोर हो जाती है.
How many law latest update 2023 16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप
आईपीसी- धारा 376 डीए के प्रकार कम से कम बीस साल की सज़ा एवं जुर्माने का प्रावधान है. सज़ा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. ये आजीवन कारावास का मतलब है कि दोषी व्यक्ति को बचा हुआ शेष जीवन जेल में बिताना होगा.
How many law latest update 2023 12 साल से कम उम्र की लड़की से रेप
आईपीसी- धारा 376 एबी के प्रकार जुर्माने के साथ कम से कम बीस साल की सज़ा, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया है.
How many law latest update 2023 नाबालिग से गैंगरेप के मामले में मृत्युदंड
आईपीसी– धारा 376 डी के तहत गैंगरेप के मामले में दोषी व्यक्ति को कम से कम बीस साल की सज़ा, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है यानी दोषी व्यक्ति को बचा हुआ शेष जीवन जेल में बिताना होगा. अगर गैंगरेप के मामले में लड़की की उम्र 12 साल से कम है तभी मृत्युदंड का प्रावधान है.
How many law latest update 2023 मैरिटल रेप पर क्या है प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में बलात्कार की परिभाषा बताई गई है एवं उसे अपराध बताया गया है, लेकिन इस धारा के अपवाद 2 पर आपत्ति जताते हुए कई याचिकाएं हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं.
आईपीसी– धारा 375 का अपवाद 2 कहता है कि अगर एक शादी में कोई पुरुष अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, जिसकी उम्र 15 साल या उससे ऊपर है तो वो बलात्कार नहीं कहलाएगा, भले ही उसने वो संबंध पत्नी की सहमति के बगैर बनाए हों. हालांकि साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने महिला की आयु 18 साल कर दी थी.
दरअसल निर्भया रेप मामले के बाद जस्टिस वर्मा की कमेटी ने भी मैरिटल रेप के लिए अलग से क़ानून बनाने की मांग की थी. उनकी दलील थी कि शादी के बाद सेक्स में भी सहमति एवं असहमति को परिभाषित करना चाहिए.
How many law latest update 2023 यौन उत्पीड़
आईपीसी में यौन उत्पीड़न के अपराधों को धारा 354 How many law latest update 2023 में परिभाषित किया गया है. साल 2013 में ‘आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2013’ के बाद इस धारा में चार सब सेक्शन जोड़े गए थे, जिसमें अलग अलग अपराध के लिए अलग अलग सज़ा का प्रावधान है.
आईपीसी– धारा 354 ए के प्रकार अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ सेक्सुअल नेचर का शारीरिक टच करता है, सेक्सुअल कलर से लैस व्यवहार करता है, सेक्सुअल फेवर मांगता है एवं मर्ज़ी के ख़िलाफ़ पोर्न दिखाता है तो उसके लिए तीन साल तक की सज़ा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
अगर कोई व्यक्ति सेक्सुअल कलर वाले कमेंट करता है तो उसके लिए एक साल तक की सज़ा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
354 बी- अगर कोई आदमी किसी महिला के जबरन कपड़े उतारता है या फिर ऐसा करने की कोशिश करता है. ऐसा करने पर तीन से सात साल तक की सज़ा एवं जुर्माने का प्रावधान है.
354 सी- महिला के प्राइवेट एक्ट को देखना, उसकी तस्वीरें लेना एवं प्रसारित करना अपराध है, जिसके लिए एक से तीन साल की सज़ा का प्रावधान है. अपराध दोहराने पर जुर्माने के साथ सज़ा बढ़कर तीन से सात साल तक हो जाती है.
How many law latest update 2023 पीछा करने पर कितनी सज़ा
अगर कोई पुरुष किसी महिला का पीछा करता है. महिला के मना करने पर बार-बार उससे बात करने की कोशिश करता है. महिला के इंटरनेट चलाने, ई-मेल या किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक संचार पर नज़र रखता है, तो यह अपराध है.
आईपीसी- धारा 354 डी के प्रकार पहली बार यह अपराध करने पर जुर्माने के साथ सज़ा को तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. दूसरी बार अपराध करने पर जुर्माने के साथ सज़ा को पांच साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.
How many law latest update 2023 छेड़छाड़ करना
अगर कोई व्यक्ति किसी महिला का अपमान करने के इरादे से कोई शब्द, कोई आवाज़, इशारा या कोई वस्तु प्रदर्शित करता है तो उसे अपराध माना गया है.
आईपीसी- धारा 509 के तहत दोषी व्यक्ति को जुर्माने के साथ सज़ा दी जाएगी, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.
दहेज हत्या
शादी के सात सालों के अंदर अगर किसी महिला की मौत जलने, शारीरिक चोट लगने या संदिग्ध परिस्थितियों में होती है एवं यह पता चलता है कि महिला की मौत से पहले उसके पति, पति के रिश्तेदारों की तरफ से उत्पीड़न किया गया था, तो उसे ‘दहेज हत्या’ माना जाता है.
आईपीसी- धारा 304बी के प्रकार कम से कम सात साल कैद की सज़ा की बात है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.