Sabarimala Temple :- सबरीमाला मंदिर का पौराणिक इतिहास, 18 पावन सीढ़ियां पार करने के बाद अयप्पा स्वामी के दर्शन |

Sabarimala Temple :- सबरीमाला मंदिर, केरल राज्य में स्थित है | और श्री अय्यप्पा को समर्पित है। मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है, जब श्री अय्यप्पा को पांडवों के युद्ध के दौरान लोगों ने पूजा किया था। मंदिर में पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को 18 पावन सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है, जिन्हें “पथिनेट्तांगाल मूर्ति” कहा जाता है। यह सफलतापूर्वक चढ़कर श्रद्धालुओं को अय्यप्पा स्वामी के दर्शन का अवसर प्राप्त होता है।

सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) का इतिहास गहरा है। मान्यता के अनुसार, श्री अय्यप्पा का विग्रह स्थित था, जब वह ब्रह्मचारी थे। श्रद्धालुओं को मंदिर पहुंचने के लिए तीन प्रमुख पथ होते हैं – पथिनेट्तांगाल मूर्ति, पेरियार पथ, और मुल्लापेरियार पथ। सबसे प्रसिद्ध है पथिनेट्तांगाल मूर्ति, जिसमें 18 पावन सीढ़ियां हैं जो श्रद्धालुओं को स्वर्ग के स्तान तक पहुंचाती हैं। यहां  यात्रा के समय लाखों श्रद्धालुएं आते हैं और यह मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है।

Sabarimala Temple

सबरीमाला मंदिर का पौराणिक इतिहास, 18 पावन सीढ़ियां पार करने के बाद अयप्पा स्वामी के दर्शन |Sabarimala Temple

सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) का पौराणिक इतिहास महाभारत से जुड़ा है। अनुसार, श्री अय्यप्पा को महाभारत काल में धार्मिक परंपरा के अनुसार पुनः जन्म  था। महाभारत के युद्ध के समय, अर्जुन के पुत्र बृहद्बलि ने महिषासुर नामक राक्षस को मारने के बाद एक ब्राह्मण की यज्ञ की सुरक्षा के लिए व्रत रखा था। इस व्रत के परिणामस्वरूप, भगवान धर्मशास्त्र रूपी अय्यप्पा प्रकट हुए, जिन्होंने ब्राह्मण की यज्ञ रक्षा की और महिषासुर को समाप्त किया।

इसके बाद, अय्यप्पा ने ब्राह्मण से यह कहा कि वह श्रद्धालुओं के द्वारका आने के लिए उनके पास जाएंगे और इसके लिए उन्हें सबरी नदी के किनारे में पहुंचना होगा। इसी स्थान पर बाद में सबरीमाला मंदिर बना। मंदिर के पास एक पुराण के अनुसार, श्री अय्यप्पा ने धनुषधारी रूप में श्रीराम और वीर हनुमान के साथ मिलकर राक्षस महिषासुर को मारा था। इस घटना के पश्चात्, श्रद्धालुओं ने उनके पूजन का प्रारंभ किया और वहां से सबरीमाला का नाम प्रसिद्ध हुआ।

अयप्पा कौन थे ?

अय्यप्पा, एक हिन्दू देवता है जो भारतीय पौराणिक कथाओं में प्रमुख रूप से समर्थ है | , धर्मशास्त्र, और ब्रह्मचर्य के देवता के रूप पूजे जाते है में वे विष्णु और शिव के साथियों में से एक माने जाते हैं। अय्यप्पा की कथा विभिन्न पौराणिक ग्रंथों में मिलती है, लेकिन मुख्य रूप से महाभारत काल के उपाख्यान में सुनी जाती है।

अय्यप्पा का विशेष पूजन भारतीय राज्य के केरल, तामिलनाडु, अंध्र प्रदेश, और कर्णाटक क्षेत्र में होता है, जहां उन्हें “स्वामी” या “शरणागत वत्सल” के रूप में पूजा जाता है। शास्ता, धर्मशास्त्र, और अर्थनायकी के देवता के रूप में भी उनकी पूजा की जाती है। अय्यप्पा की मंदिर सबरीमाला, केरल में स्थित है और वहां वर्षभर श्रद्धालुओं की भीड़ आती है जो उन्हें पूजते हैं और उनके दर्शन के लिए यात्रा करते हैं।

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अयप्पा स्वामी का चमत्कारिक मंदिर

अय्यप्पा स्वामी का चमत्कारिक मंदिर, सबरीमाला मंदिर को ही दर्शाया जाता है जो केरल राज्य, भारत में स्थित है। यहां की मंदिर महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थ स्थल में से एक है और वर्षभर श्रद्धालुओं की भीड़ आती है।

सबरीमाला मंदिर का चमत्कारिक माहत्म्य उसके पौराणिक इतिहास में छिपा हुआ है, जो महाभारत के काल से जुड़ा है। महाभारत में अय्यप्पा को ब्रह्मचारी के रूप में उपास्य देवता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। मान्यता के अनुसार, उन्होंने ब्रह्मचारी रूप में धार्मिक परंपरा और तपस्या का पालन करते हुए महिषासुर जैसे राक्षस को मारा और धर्मशास्त्र के देवता बने।

चमत्कारिक रूप से माने जाने वाले कई कथाएं और अनुभव सबरीमाला में होते हैं, जो श्रद्धालुओं के बीच पारंपरिक हैं और इस स्थल को एक चमत्कारिक मंदिर बनाती हैं।

सबरीमाला के महोत्सव

सबरीमाला में वर्षभर में कई महोत्सवों का आयोजन होता है, जो भक्तों को एकत्र करने और धार्मिक आत्मा को उत्तेजना का एक अवसर प्रदान करते हैं। इन महोत्सवों में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-अर्चना, संगीत, नृत्य, और भक्ति के विभिन्न रूपों का आनंद लिया जाता है।

  • मंडल पूजा उत्सव: यह उत्सव सबरीमाला में मंडल काल के शुरू होने पर आयोजित होता है और इसे मंडल पूजा के रूप में जाना जाता है। यह पूरे मंडल काल के दौरान चलता है और भक्तों को सबरीमाला में एकीकृत करने का उत्साह प्रदान करता है।
  • मंडलाकाल चिरपा: इस उत्सव के दौरान, भक्तों ने चिरपा कहलाती एक खास प्रक्रिया का अनुसरण करते हैं, जिसमें वे एक विशेष पूजा का हिस्सा बनते हैं।
  • मंडलम दर्शनम्: इस उत्सव के दौरान, भक्तों को धर्मिक प्रवचन, कीर्तन, और पूजा-अर्चना का अवसर मिलता है जो उनकी भक्ति को करता है।

ये महोत्सव सबरीमाला के पारंपरिक और आधुनिक सांस्कृतिक वार्ताओं का हिस्सा हैं, जो भक्तों को एक आत्मिक और सामाजिक समर्पण की भावना के साथ जोड़ते हैं।

Sabarimala Temple18 पावन सीढ़ियां

श्रद्धालुओं को सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple)  पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों का चढ़ना पड़ता है, जिन्हें “पथिनेट्तांगाल मूर्ति” कहा जाता है। यह सीढ़ियां श्री अय्यप्पा के दर्शन के लिए यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को पहाड़ी क्षेत्रों में ले जाती हैं और मंदिर की प्राचीन पौराणिक महत्वपूर्णता को बढ़ाती हैं। इन सीढ़ियों का उच्चारण एक धार्मिक और आत्मिक अनुभव का हिस्सा है जो श्रद्धालुओं को अय्यप्पा स्वामी के साथ साक्षात्कार करने में मदद करता है।

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Sabarimala Temple कैसे पहुंचें मंदिर

सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple)  पहुंचने के लिए निम्नलिखित तरीकों का अनुसरण किया जा सकता है |

  • विमोचनप्पली यात्रा (Vimochana Pally Yatra): यह यात्रा पुलम्पोंग पुल के पास से शुरू होती है और सबरीमाला पहुंचने का एक पुराना और परंपरागत मार्ग है।
  • पेरियार पथ (Periyar Path):  यात्रा राजमाला से शुरू होती है और यह सीधे सबरीमाला की ओर जाती है।
  • मुल्लापेरियार पथ (Mullapperyar Path): यह पथ सबरीमाला पहुंचने का एक और विकल्प है जो मुल्लापेरियार डैम से शुरू होता है।
  • हेलीकॉप्टर सेवा: कुछ दिनों के लिए सीमित समय के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध होती हैं, जो श्रद्धालुओं को मंदिर तक शीघ्रता से पहुंचा सकती हैं।

यात्रा के दौरान, यात्री को Sabarimala Temple  कई यात्रा प्रावधान हैं और सुरक्षा नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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सारांश

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